Unfinished Love
मुझसे पहली सी मोहब्बत मेरे महबूब न माँग मैंने समझा था कि तू है तो दरख़्शाँ है हयात तेरा ग़म है तो ग़म-ए-दहर का झगड़ा क्या है तेरी सूरत से है आलम में बहारों को सबात तेरी आँखों के सिवा दुनिया में रखा क्या है? तू जो मिल जाए तो तक़दीर निगूं हो जाए यूँ न था, मैंने फ़क़त चाहा था यूँ हो जाए अब भी दिलकश है तेरा हुस्न, मगर क्या कीजिए और भी दुख हैं ज़माने में मोहब्बत के सिवा राहतें और भी हैं वस्ल की राहत के सिवा मुझसे पहली सी मोहब्बत मेरे महबूब न माँग - फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ A story where a royal heart, once consumed by duty or emptiness, discovers love not as fantasy, but as a truth that changes everything - deep, grounding, and real.